Vinay Kushwaha

I am a Film Maker and Video Editor with as an Good Actor

बहुत याद आती है हमें हमारे गांव की, कीचड़ सने जूते और कांटों चुभे पांव की

*बहुत याद आती है हमें हमारे गांव की, कीचड़ सने जूते और कांटों चुभे पांव की. कोयल की कूक और कौए की कांव की, चौपाल की बैठक और पीपल की छांव की. बहुत याद आती है हमें हमारे गांव की.. .. .. भर्ता बाटी- लिट्टी चोखा बहुत याद आते हैं, ये वड़ापाव पिज्जा बर्गर हमें बहुत अखरते हैं. यहां सुबह न मुर्गे बांग देते न शाम मोर चिल्लाते हैं, हमें हमारे गांव के पालतू और जंगली जानवर याद आते हैं. बहुत याद आती है हमारे खुले बड़े बड़े मकानों की, यहां नींद खुल जाती है आवाज सुन पड़ोसी के खांसने की यहां कबूतर के घोंसले जैसे फ्लैट में जितना मुश्किल है रहना, उतना ही आसान और मजेदार है गांव के बड़े बड़े मकानों में रहना.

Post a Comment

Previous Post Next Post